Shabe Meraj ki Namaz :- शबे मेराज और माहे रजब की इबादत का आसान तरीका –
अस्सलामो अलैकुम दोस्तों, हर साल की तरह इस साल भी शबे मेराज की दिल से मुबारकबाद। शबे मेराज बहुत ही खास और बरकतों वाली रात है। इस रात को खूब इबादत की जाती है, और यही वो रात है जब हमारे प्यारे नबी मेराज के सफर को गए ! और उम्मत के लिए नमाज़ का तोहफा लेकर आये !
आईये जानते है शबे मेराज में (27 rajab को ) हमें कौन कौन सी नमाज़ पढ़नी है ? नमाज़ में कितनी रकाअत पढ़नी है ? और हर नमाज़ में क्या क्या पढ़ना है ? और नियत क्या करनी है ?
Shabe Meraj Ki Namaz Ka Tarika
शबे मेराज का मौजिजा:
हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम के बेशुमार चमत्कारों में से एक शबे मेराज का चमत्कार है, जो बहुत खास है। इसे “जामिउल मोजिजात” यानी सब चमत्कारों को समेटने वाला कहा जाता है।
रजब की 27वीं मुबारक रात:
रजब की 27वीं रात वह खास रात है जब अल्लाह तआला ने अपने प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को अपनी मुलाक़ात के लिए बुलाया। इस रात में:
- आप हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम के साथ मक्का शरीफ से बैतुल मुक़द्दस पहुंचे।
- वहां सारे नबी-रसूल आपसे मिलने के लिए इंतजार कर रहे थे।
- आप ने सबको दो रकअत नमाज़ पढ़ाई।
- वहां से आसमानों की ओर बढ़े और सातों आसमानों को पार करते हुए अर्श तक पहुंचे।
- फिर वहां से आगे ला मकां जाकर अपने रब का दीदार किया।
- उसी रात पांच वक्त की नमाज़ों का तोहफा लेकर मक्का शरीफ वापस आए।
माहे रजब की इबादत:
- गुस्ल की फज़ीलत:
- जो शख्स रजब की 1, 15 और 27 तारीख को गुस्ल करेगा, अल्लाह तआला उसे गुनाहों से पाक कर देगा।
- रोजे की फज़ीलत:
- इस महीने के रोजों की बड़ी फज़ीलत है, खासतौर पर 26 और 27 तारीख के रोजे।
- 27 रजब का रोजा रखने वाले को जन्नत की खास नहर से शर्बत पिलाया जाएगा, जो शहद से ज्यादा मीठा, बर्फ से ज्यादा ठंडा और दूध से ज्यादा सफेद होगा।
- नफ़्ल नमाज़:
- इस रात में नफ़्ल नमाज़ अदा करना बहुत सवाब का काम है।
नसीहत:
इस मुबारक महीने और शबे मेराज की खास रात को इबादत में गुजारें। यह अल्लाह की रहमत और बरकत हासिल करने का बेहतरीन मौका है।