Darood Sharif

Bismillah Sharif

बिस्मिल्ला हिर्रमान निर्रहीम  

Darood Sharif – अस्सलामो अलैकुम दोस्तों इस वेबसाइट में आपको सारी दरूद शरीफ पढ़ने को मिल जायेगी ! और दरूद शरीफ से रेलेटेड जो भी सवाल है ! वो भी आपको यहीं मिल जाएंगे ! 

दरूद शरीफ पढ़ने के फायदे , दरूद  शरीफ पढ़ने का ख़ास वक़्त , दरूद शरीफ पढ़ने की फ़ज़ीलत,दरूद शरीफ पढ़ने के ख़ास दिन, दरूद शरीफ पढ़ने का क़ुरान में ज़िक्र, दरूद शरीफ पढ़ने की हदीस ! इंशा अल्लाह आप पोस्ट पूरा पढ़ेंगे ! और इससे फायदा उठाएंगे और पोस्ट को शेयर करके लोगो को भी फायदा पहुंचाएंगे !

दरूद शरीफ पढ़ने का क़ुरआन में ज़िक्र – अल्लाह तआला क़ुरआन शरीफ़ की सूरह अहज़ाब में आयत 56 में फ़रमाता है !

मस्जिद में आते-जाते वक़्त पढ़ने वाला दुरूद

Darood Sharif

दरूद शरीफ पढ़ने का क़ुरआन में ज़िक्र – सूरह अहज़ाब में आयत 56
إِنَّ ٱللَّهَ وَمَلَٰٓئِكَتَهُۥ يُصَلُّونَ عَلَى ٱلنَّبِىِّ ۚ يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ صَلُّوا۟ عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا۟ تَسْلِيمًا

इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *! या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा

तर्जुमा– बेशक अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दरूद भेजते हैं नबी पर ! ए ईमान वालो ! तुम भी उन पर दरूद भेजो और सलाम भेजो !

 

दुरूद शरीफ का मतलब
अल्लाह तआला का नबी सल्लललाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजने का मतलब आप (ﷺ) पर रहमत नाज़िल करना है ! और फ़रिश्तों व मुसलमानों का आप (ﷺ) सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद भेजने का मतलब आप (ﷺ) के लिए रहमत की दुआ करना है !

दरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकतें

दरूद शरीफ़ की बहुत बरकतें है ! नबी करीम (ﷺ) सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं कि अगर बन्दा दुआ करे ! और दरूद ना पढ़ें तो उसकी दुआ जमीन और आसमान के दरम्यान लटकती रहती है ! लेकिन अगर कोई दरूद पढ़ लें ! और उसके बाद दुआ करे तो अल्लाह तआला उसकी दुआ को जरूर क़बूल फरमाते हैं ! 

आका फ़रमाते हैं अर्श के नीचे एक फ़रिश्ता है ! जिसका सर अर्श से लगा हुआ है और जिसके पैर तहतुसरा मे है ! उसका एक बाजू मसरिक की तरफ है ! और दुसरा बाजू मगरीब की तरफ है ! जब कोई बन्दा मोमिन आका पर मोहब्बत के साथ दरूद पढ़ता है ! तो अल्लाह उस फ़रिश्ते को हुक्म देता है के वो नूर के दरिया में गोता लगाएं ! तो फ़रिश्ता नूर की दरिया में गोता लगाता है ! और बाहर आने के बाद अपने परों को झाड़ने लगता है ! 

नबी करीम (ﷺ) सल्ललाहू अलैहि वसल्लम फरमाते हैं ! जब वो अपने परों को झाड़ता है उसके परों से नूर के कतरे गिरते हैं ! और हर कतरे से अल्लाह तआला फ़रिश्ते पैदा फरमाते हैं ! और जितने हजारों लाखों करोड़ों फ़रिश्ते पैदा होते है ! वो सब के बस क़यामत तक उसका नाम लेकर मगफिरत की दुआं करते हैं ! जिसके दरूद से वो पैदा हुए हैं ! सोचिये आपके दरूद से कितने फ़रिश्ते पैदा होते है !

Darood Sharif Ki Barkate- 

जब आदम और हव्वा का निकाह हुआ तो अल्लाह ने कहा आदम निकाह के बाद मेरे महबूब पर मेहर के तौर पर दरूद पढ़ो ! आदम ने दरूद पढ़ा तो हव्वा हलाल हो गई ! तो दुनिया बहाल हो गई !

जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके परिवार पर एक दुरूद भेजता है ! अल्लाह उसके ऊपर 10 दरूद भेजते है ! उसके 10 गुनाह माफ़ कर देता है ! और 10 नेकी उसके उसके में लिख देता है !

दरुद शरीफ़ पढ़ने का खास दिन
हज़रत ओस की रिवायत है : मैंने अल्लाह के रसूल मुहम्मद (ﷺ) सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह कहते सुना : सब दिनो में जुमा का दिन बहतर है ! इसी दिन आदम अलैहिस्सलाम पैदा किये गये ! और इसी दिन उनकी रूह निकाली गई, इसी दिन सुर फ़ूका जाएगा ! इसी दिन कब्रों से उठने का हुक्म होगा ! और इस दिन मुझ पर मेहनत से दुरूद शरीफ़ भेजा करो !
ईद उल-फ़ित्र, ईद-उल-अज़हा, ईद मीलाद उन-नबी के दिन, शनिवार के दिन ,सोमवार (पीर) के दिन

 

हदीसे – अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: 

1. तुम में से कोई शख़्स जब तक अपनी नमाज़ की जगह पर जहां उसने नमाज़ पढ़ी है ! बैठा रहे और उसका वुजू न टूटे तब तक फ़रिश्तें उस पर दुरूद भेजते रहते हैं ! और यूं कहते हैं  या अल्लाह ! इसको बख़्श दे और इस पर रहम फ़रमा ! (बुखारी – 659, नसाई-736, अहमद – 7424, इब्ने खुज़ैमा -1490)


2. सफ के दाई तरफ के लोगों पर अल्लाह रहमत नाज़िल करता है ! और फ़रिश्ते उनके लिए दुआ ए रहमत करते हैं ! (अबुदाऊद – 664, नसाई – 814, इब्ने माजा – 997 – सही)


3. पहली सफों के लोगों पर अल्लाह रहमत नाज़िल करता है ! और फ़रिश्तें दुआए रहमत करते हैं !  (इब्ने माजा – 1005)


4. नबी (ﷺ) के अलावा किसी पर दुरूद न भेजो ! अलबत्ता मुसलमान मर्दो व औरतों के लिए अस्तगफार करो ! 

5. जिसके सामने मेरा (ﷺ) नाम लिया जाए और वह दुरूद न पढ़े तो वह बखील (कजूंस) है !  (तिर्मिज़ी – 3283-सही)


6. जिस मजलिस में लोग अल्लाह का ज़िक्र न करें और न नबी (ﷺ) पर दुरूद न भेजें ! वह मजलिस कयामत के दिन उन लोगों के लिए बाइसे हसरत होगी ! चाहे नेक आमाल के बदले में जन्नत में चले जाए ! (अहमद, सिलसिला अहादीस अल-सहीहा – 76)


7. जो मुझ पर (ﷺ) दुरूद पढ़ना भूल गया ! उसने जन्नत का रास्ता खो दिया ! (इब्ने माजा – 908-सही)


8. जब तक नबी (ﷺ) पर दुरूद न पढ़ा जाए ! कोई दुआ कुबूल नहीं की जाती ! (सिलसिला अहादीस अल सहीहा – 2035, तबरानी)

9. दुरुद शरीफ न पढ़ने वाले पर फ़रिश्ते की लानत: 


आप (ﷺ) का इस्म मुबारक (नाम) सुनकर दुरूद न भेजने वाले के लिए जिब्रील अलैहिस्सलाम  ने बददुआ की और आप सल्ल. (ﷺ) ने आमीन कही ! 

दुरूद शरीफ़ की अहमियत-
कअब बिन अजराह रज़ि. का बयान है कि एक दिन अल्लाह के रसूल (ﷺ) सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मिम्बर की पहली सीढ़ी पर चढ़े तो फ़रमाया आमीन फिर दूसरी सीढ़ी पर चढ़े तो कहा आमीन फिर तीसरी सीढ़ी पर चढ़े तो फ़रमाया आमीन !
खुत्बे के बाद आप (ﷺ) सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जिब्रील अलैहि आए और कहा – हलाकत है उस शख़्स के लिए जिसने रमजान का महीना पाया लेकिन अपने गुनाह न बख्शवाए तो मैंने जवाब में कहा आमीन !
जब में दूसरी सीढ़ी पर चढ़ा तो जिब्रील अलैहिस्सलाम ने कहा – हलाकत है उस शख़्स के लिए जिसके सामने आप सल्ल.(ﷺ) का नाम लिया जाए फिर वह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ﷺ) पर दुरूद न भेजे तो मैंने जवाब में कहा आमीन !
जब तीसरी सीढ़ी पर चढ़ा जिब्रील अलैहिस्सलाम ने कहा – हलाकत हो उस शख़्स के लिए जिसने अपने मां-बाप या दोनों में से किसी एक को बुढ़ापे की उम्र पाया ! लेकिन उनकी ख़िदमत करके जन्नत हासिल न की तौ मैंने जवाब में कहा !आमीन !
(मिश्कात–866, तिर्मिज़ी-3282)

 

11. जिसने मुझ पर एक बार दुरूद भेजा ! अल्लाह उस पर दस दफा रहमतें नाज़िल करेगा ! उसके दस गुनाह माफ़ करेगा और दस दर्जे बुलन्द करेगा ! (नसाई – 1300 – सही)

12. जो शख़्स मुझे जितना ज़्यादा दुरूद भेजेगा ! वह कयामत के दिन मुझसे उतना ही क़रीब होगा ! (मिश्कात – 862-सही)

13. जिसने मुझ पर दुरूद भेजा या मेरे लिए अल्लाह से वसीला मांगा ! उसके लिए मैं क़यामत के दिन ज़रूर सिफारिश करूंगा ! (इस्माईल काजी सही)

14. जब अबि बिन कअब रज़ि. ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! में अपनी दुआ का सारा वक्त दुरूद शरीफ पढ़ने के लिए वक्फ़ करता हूँ ! तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- यह तेरे सारे दुखों और गमो के लिए काफी होगा ! और तेरे गुनाहों की बख्शिश का ज़रिया होगा ! (मिश्कात – 868 – हसन)

15.अल्लाह तआला का फरमान है कि जो शख़्स आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर दुरूद भेजेगा ! मैं उस पर रहमत नाज़िल करूंगा ! और जो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर सलाम भेजेगा तो मैं भी उस पर सलाम भेजूगां ! (अहमद, मिश्कात – 875 – सही)

16. जिसने दस दफा सुबह और दस दफा शाम के वक्त मुझ पर दुरूद भेजा ! क़यामत के दिन उसे मेरी सिफारिश हासिल होगी ! (तबरानी – हसन) 

17. अब्दुल्लाह बिन मसऊद रजि. जब दुआ करने लगे तो पहले अल्लाह की हम्द व सना की ! फिर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद भेजा ! और फिर इसके बाद अपने लिए दुआ की तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया – (इस तरह) अल्लाह से मांगों, जरूर दिये जाओंगे ! फिर फ़रमाया – अल्लाह से मांगों ! दिये जाओंगे ! (तिर्मिज़ी-मिश्कात – 870 – हसन)

18. जिसने मुझ पर एक दफा दुरूद भेजा ! अल्लाह उस पर दस रहमतें नाज़िल करेगा ! (मुस्लिम, मिश्कात-860)

19. अल्लाह तआला (मुझ पर) एक दफा दुरूद पढ़ने वाले पर दस रहमतें नाज़िल करता है ! और एक दफा सलाम भेजने वाले पर दस दफा सलाम भेजता है ! (नसाई-1286-हसन)

20. जिसने मुझ पर पर एक दफा दुरूद भेजा ! अल्लाह उसके नामा-ए-आमाल में दस नेकियां लिखेगा ! (इस्माईल काज़ी – सही)

21. जब तक कोई मुसलमान मुझ पर दुरूद भेजता रहता है ! उस वक्त तक फ़रिश्तें उसके लिए रहमत की दुआ करते रहते हैं ! अब जो चाहे कम (दुरूद) पढ़े और जो चाहे ज़्यादा पढ़े ! (इस्माईल काज़ी – हसन) 

दरूद शरीफ की फजीलत

हदीस शरीफ़ – एक बार हज़रत उबई इब्न कआब रजि अल्लाहू तआला अन्हु नबीए करीम की खिदमत में हाजिर हुए , अर्ज किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ! मै चाहता हूं अपने 24 घंटों के 4 हिस्से करू ! और एक हिस्से मे दरूद शरीफ ( Darood Sharif ) पढ़ता रहूं ! आका कैसा रहेगा !
सरकार फ़रमाते हैं बहुत अच्छा है ! अगर इसमें और ज्यादती करो तो और बेहतर हैं, तुम्हारे लिए ! अर्ज किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ! 24 घंटों के आधे हिस्से में दरूद शरीफ़ पढ़ता रहूंगा !
आका फ़रमाते हैं बेहतर हैं लेकिन इस में और इजाफा करो तो और अच्छा !अर्ज किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ! 24 घंटों में पौना हिस्सा , आका फ़रमाते हैं -और ज्यादा करो तो और अच्छा !
अर्ज किया या रसूलल्लाह फर्ज नमाजो के बाद रातो दिन मैं सिर्फ आप पे दरुद शरीफ़ पढ़ूंगा ! आका फ़रमाते हैं अगर तुने ऐसा कर लिया तो अल्लाह तुम्हें दुनिया के गमों से भी आजाद कर देगा ! और आखीरत के गमों से भी आजाद कर देगा !
इस लिए दरूद शरीफ ( Darood Sharif ) पढ़ने की आदत डालिए !और जब कोई आका ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम ले तो बुलंद आवाज से सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जरूर कहें ! ये वाजिब है। क्योंकि आका फ़रमाते हैं ! सबसे बड़ा बखिल वो है जिसके सामने मेरा नाम लिया जाएं और वो मुझ पे दरूद ना पढ़ें !

Darood Sharif Padhne Ke Khas Waqt- 

वैसे तो दुरूद शरीफ जितना पढ़े उतना अच्छा है लेकिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए कुछ खास वक्त बेहतरीन माने जाते है -:

दुरूद शरीफ पढ़ने के ख़ास वक़्त 
01. पाँँचों नमाज़ों के बाद
02. अज़ान के बाद – अज़ान सुनने के बाद दुआ मांगने से पहले  (मुस्लिम – 849, तिर्मिज़ी-3358)
03. मस्जिद में दाखिल होते वक्त और बाहर जाते वक़्त (इब्ने माजा – 771, 772-सही)
04. वजू करते वक्त और वजू होने के बाद
05. मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम लिखने और कहने पर सलवात पढना सबसे अच्छा माना जाता हैं
06. दुआ माँगते वक़्त
07. मुसीबत के वक़्त
08. घर में दाखिल होते वक़्त
09. सुबह और शाम के वक़्त
10. जिब्ह करते वक़्त  (पशु-पक्षियों को हलाल करते वक़्त )
11. छीक आते वक़्त
12. सौदा या मोल-भाव करते वक़्त
13. नमाज़े जनाज़ा में- नमाज़े जनाज़ा में दूसरी तक्बीर के बाद। (मुसनद शाफई – 581)
14. जुमे के दिन- आप (ﷺ) ने फ़रमाया: जुमे के दिन मुझ पर कसरत से दुरूद भेजा करो ! वह मेरे सामने पेश किया जाता हैं !  (बैंहकी, हाकिम – सही )
15. अल्लाह के रसूल (ﷺ) का इस्में मुबारक सुनने पढ़ने या लिखने के वक्त ! (तिर्मिज़ी –3283)
Darood Sharif Padhne Ke Khas Waqt- 

16. ईमान वाले कहीं से भी और किसी भी वक्त दुरूद भेज सकते हैं ! मेरी कब्र को मेला न बनाओं और न ही अपने घरों को कब्रिस्तान बनाओं ! तुम जहां कहीं भी हो मुझ पर दुरूद भेजते रहो ! तुम्हारा दुरूद मुझे पहुंचा दिया जाता है ! (मुसनद अहमद – सही)

17.अल्लाह तआला ने मेरी उम्मत का सलाम मुझ तक पहुंचाने के लिए फ़रिश्ते मुकर्रर कर रखें हैं ! जो ज़मीन पर गश्त करते रहतें हैं ! (नसाई-1285)

18. दुआ मांगने से पहले (अल्लाह की हम्द व सना के बाद) : एक शख़्स ने नमाज़ पढ़ी ! (नमाज़ के बाद) अल्लाह की हम्द व सना की और अपने नबी पर दुरूद भेजा तो आप सल्ल. ने फ़रमाया ” ऐ नमाज़ी ! दुआ कर ! तेरी दुआ कुबूल की जाएगी ! (तिर्मिज़ी – 3223 – सही)

19. गुनाहों से तौबा करते वक्त:बन्दए मोमिन जबभी रब की बारगाह में तौबा करे ! उसे चाहिए की वो दरूद शरीफ पढ़े ताकि तौबा जल्दी क़ुबूल हो जाए !

20. तक्लीफ, मुसीबत व रंज व ग़म के मौके पर: जब उबई बिन कअब रज़ि. ने अल्लाह के रसूल सल्ल. से कहा कि मैं अपनी दुआ का सारा वक्त आप पर दुरूद भेजने के लिए वक्फ करता हूँ तो आप सल्ल. ने फ़रमाया: यह तेरे गुनाहों की बख्शिश का ज़रिया होगा ! (तिर्मिज़ी – मिश्कात – 868 – हसन)

21. हर मजलिस में: कुछ लोग मिल कर बैठें और अल्लाह का ज़िक्र न करें और न नबी सल्ल. पर दुरूद ( Darood Sharif ) भेजें ! तो क़यामत के दिन वह मजलिस उन लोगों के लिए व बाल की वजह होगी ! अल्लाह चाहे तो उन्हें सज़ा दे या चाहे तो उन्हें माफ़ कर दें !(तिर्मिज़ी – 3133 – हसन)

22.  सुबह व शाम में: जिसने दस दफा सुबह व दस दफा शाम को मुझ पर दुरूद भेजा। उसे क़यामत के दिन मेरी सिफारिश हासिल होगी ! (तबरानी – हसन) 

23.  नमाज़ ख़त्म करने से पहले: तश्हुद के बाद पढ़ना लाज़िम है ! (नसाई – 1287, तिर्मिज़ी-3223, 3225-सही)

रसूलल्लाह (ﷺ) पर सलाम भेजने के अलफाज़ 

अत्तहियात / तशहुद: अत्तय्यिहातु लिल्लाहि वस्सलावातु वततय्यिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबीयु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु, अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सा लिहीन। अश्हदु अल्ला इलाहा इल्ललाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अबदुहु व रसूलुहू

तर्जुमा- मेरी ज़बानी, जिस्मानी और माली तमाम इबादात सिर्फ अल्लाह ही के लिए हैं ! ऐ नबी (ﷺ) आप पर अल्लाह का सलाम उसकी रहमतें व बरकतें हो ! हम पर भी और अल्लाह के सारे नेक बन्दों पर सलाम ! मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अलावा कोई माअबूद नहीं और यह भी कि मुहम्मद (ﷺ) अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं !
(बुखारी – 831,835, नसाई – 1165 से 1169, इब्ने माजा, 899, मुस्लिम – 638 )

Darood Sharif Padhne Ke Fayde- दरूद शरीफ पढ़ने के फायदे – 

1- अल्लाह तआ़ला के हुक्म की तामील होती हैं!
2- एक बार दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले पर दस रह़मतें नाज़िल होती हैं!
3- उसके दस दरजात बुलन्द होते हैं!
4- उसके लिए दस नेकियां लिखी जाती हैं !
5- उसके दस गुनाह मिटाए जाते हैं!
6- दुआ़ से पहले दुरूद शरीफ़ पढ़ना दुआ़ की क़बूलिय्यत का बाइ़स हैं !
7- दुरूद शरीफ़ पढ़ना प्यारे आक़ा सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की शफ़ाअ़त का सबब हैं  !
8- दुरूद शरीफ़ पढ़ना गुनाहों की बख़्शिश का बाइ़स हैं !
9- दुरूद शरीफ़ के ज़रीए़ अल्लाह तआ़ला बन्दे के ग़मों को दूर करता हैं !
10- दुरूद शरीफ़ ( Darood Sharif ) पढ़ने की वजह से बन्दा क़यामत के दिन रसूले अकरम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम का कुर्ब ह़ासिल करेगा !


11- दुरूद शरीफ़ तंगदस्त के लिए सदक़ा के काइम मक़ाम हैं


12- दुरूद शरीफ़ क़ज़ाए ह़ाजात का ज़रीआ़ हैं !
13- दुरूद शरीफ़ अल्लाह तआ़ला की रह़मत और फ़रिश्तों की दुआ़ का बाइ़स हैं !
14- दुरूद शरीफ़ अपने पढ़ने वाले के लिए पाकीज़गी और त़हारत का बाइ़स हैं!
15- दुरूद शरीफ़ से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की ख़ुशख़बरी मिल जाती हैं!
16- दुरूद शरीफ़ पढ़ना क़यामत के ख़त़रात से नजात का सबब हैं!
17- दुरूद शरीफ़ पढ़ने से बन्दे को भूली हुई बात याद आ जाती हैं!
18- दुरूद शरीफ़ मजलिस की पाकीज़गी का बाइ़स हैं ! और क़यामत के दिन ये मजलिस बाइ़से हसरत नही होगी !
19- दुरूद शरीफ़ पढ़ने से तंगदस्ती दूर होती हैं!
20- ये अ़मल बन्दे को जन्नत के रास्ते पर ड़ाल देता हैं!
21- दुरूद शरीफ़ पुल सिरात़ पर बन्दे की रोशनी में इज़ाफ़े का बाइ़स हैं!
22- दुरूद शरीफ़ के ज़रीए़ बन्दा ज़ुल्म व जफ़ा से निकल जाता हैं!
23- दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बन्दा आसमान और ज़मीन में क़ाबिले तारीफ़ हो जाता हैं!
24- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को इस अ़मल की वजह से उसकी ज़ात, उ़म्र, अ़मल और बेह़तरी के अस्बाब में बरकत ह़ासिल होती हैं!


25- दुरूद शरीफ़ रह़मते खुदावन्दी के हुसूल का ज़रीआ़ हैं 


26- दुरूद शरीफ़ मह़बूबे रब्बुल इज़्ज़त सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम से दाइमी मौह़ब्बत और इसमें ज़ियादत का सबब हैं और ये (मौह़ब्बत) ईमानी उ़कूद में से हैं! जिसके बग़ैर ईमान मुकम्मल नही होता!
27- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम मौह़ब्बत फ़रमाते हैं!
28- दुरूद शरीफ़ पढ़ना, बन्दे की हिदायत और उसकी ज़िन्दा दिली का सबब हैं क्यूंकि जब वो आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम पर कसरत से दुरूद शरीफ़ ( Darood Sharif ) पढ़ता हैं ! और आपका ज़िक्र करता हैं तो आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की मौह़ब्बत उसके दिल पर ग़ालिब आ जाती हैं !
29- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का ये एज़ाज़ भी हैं कि सुल्त़ाने अनाम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की बारगाहे बेकस पनाह में उसका नाम पेश किया जाता हैं ! और उसका ज़िक्र होता हैं 


30- दुरूद शरीफ़ पुल सिरात़ पर साबित क़दमी और सलामती के साथ गुज़रने का बाइ़स हैं !

31.  दुरूद शरीफ पढ़ने से बुरा वक्त ख़तम हो जाता है !
32.- दुरूद पढ़ने से भूले हुए काम और बाते याद आ जाती है !
33-  दुरूद पढ़ने वाले का क़र्ज़ जल्दी अदा हो जाता है !
34- दुरूद पढ़ने वाला मुहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम के पसन्दीदा बन जाते हैं !
35 – दुरूद पढ़ने वाले का दिल रेहमत और रौशनी से भर जाता है !
36- दुरूद शरीफ़ भेजना जहन्नम की आग से बचाता है  !
37- दुरूद शरीफ़ को लगातार पढ़ने से सभी जायज़ दुआ पूरी हो जाती है !
38- दुरूद शरीफ़ को ज़ोर से पढ़ने वाले शख्श में से घमण्ड ख़त्म हो जाता है !
39- दुरूद भेजना कब्र में और कयामत के दिन  रौशनी का काम करेगा !
40- दुरूद शरीफ़ भेजने वाले के दिल में अल्लाह और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए मोहब्बत पैदा  हो जाती  है !
41- दुरूद शरीफ़ गुनाहों का कफ्फारा है !
42- दुरूद शरीफ़ से अमल पाक होता है !
43- दुरूद शरीफ़ से आँखों को नूर मिलता है !
44- दुरूद शरीफ़ पढ़ने से जन्नत के दर्जात बुलंद होते है!
45- यह अमल बन्दे को जन्नत के रस्ते पर डाल देता है !
46- दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बंदा आसमान और ज़मीन में काबिले तारीफ हो जाता है !
47- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुहब्बत फ़रमाते हैं, जो शख्श दुरूद शरीफ़ को ही अपना वजीफ़ा बना लेता है अल्लाह पाक उसके दुनिया और आखिरत के सारे काम अपने ज़िम्मे ले लेता है !  

Note- दोस्तों अब कुछ दरूद शरीफ की लिस्ट है ! आपको जो भी दरूद शरीफ (Darood Sharif) पढ़नी हो बस क्लिक कीजिये आपके सामने वो दरूद आ जाएगी ! और अगर आपको दरूद शरीफ की लिखी हुई इमेज चाहिए तो इमेज (image ) पर क्लिक कीजिये इमेज आजायेगी ! इंशाअल्लाह सवाब की नियत से खूब शेयर कीजिये ! 

Darood Sharif List In Hindi – 
No. दरूद शरीफ़ Hindi-Image
01. दरूद ए इब्राहीमी Image
02. दरूद ए शफ़ाअत Image
03. दुरूद ए बाइसे ज़ियारत   Image
04. दरूद ए गौसिया  Image
05. दरूद ए – रोज़ी में बरकत Image
06. मस्जिद में आते-जाते वक़्त पढ़ने वाला दुरूद Image
07. मुकम्मल दुरूद शरीफ Image
08. दोज़ख़ से नजात Image
09. जन्नत में ठिकाना  Image
10. अस्सी साल की इबादत का सवाब Image
11. परेशानी में पढ़ने वाली दरूद शरीफ़  Image
12. दरूद ए इस्मे आज़म  Image
13. सबसे छोटा दरूद शरीफ़  Image
14. दरूद ए मग़फ़िरत Image
15. ईमान की हिफ़ाज़त  Image
16. दरूद ए बरकत  Image
17. बिमारी में पढ़ने वाला दरूद शरीफ़ Image
18. जन्नत के फल Image
19. हजार दिन तक सवाब मिलना Image
20. सारे दुरूद भेजने के बराबर सवाब  Image
21. अर्श अजीम के बराबर सवाब  Image
22. दुनिया व आख़िरत की बरकत के लिए दरूद शरीफ़ Image
23. दरूद ए मुकम्मल Image
24. चाँद की तरह चेहरा रोशन करने वाला दरूद शरीफ़ Image
25. कामिल दुरूद शरीफ़   Image
26.
दरूद ए खास
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27. दुआ क़ुबूलियत की दुरूद शरीफ़ Image
28. दुआ ए क़ुनूत के बाद पढ़ने वाली दुरूद शरीफ़ Image
29. छींक आने पर पढ़ने वाला दरूद शरीफ़ Image
30. ताबिईन का दुरूद शरीफ़  Image
31. मुसीबत में पढ़ने वाली दरूद शरीफ़  Image
32. दस हजार मर्तबा दुरूद शरीफ़ के बराबर  Image
33. बुजुर्ग दुरूद शरीफ़ Image
34. अस्सी साल के गुनाह मुआफ  Image
35. औलाद को इज्जत दिलाना  Image
36. जन्नत में मक़ाम देखना  Image
37. बडे पैमाना से सवाब मिलना  Image
38. दुरूद ए सदक़ा Image
39. दुरूद ए कौसर Image
40. दरूदे नूर Image
41. दरूद ए अफजल  Image
42. सुबह शाम पढ़ने वाली दरूद शरीफ़ Image
43. दरूद ए अस्तग़फ़ार  Image
44. एक के बदले दस नेकी Image
45. छः लाख दुरूद शरीफ़ का सवाब
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46. शबे जुम्मा का दरूद शरीफ़
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47. दरूद ए खिज़री
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48. दरूद ए जमाली
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49. मुँह की बदबू दूर करने का दरूद शरीफ़ Image
50. दरूद ए लक्खी  
51. दरूद ए अकबर  
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