Kunde Ki Niyaz का महत्व और इतिहास

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Kunde KI Niyaz
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Kunde Ki Niyaz का महत्व और इतिहास

जब भी माह-ए-रजब का चाँद नजर आता है, तो “Kunde Ki Niyaz” का ख्याल जरूर आता है ! सोशल मीडिया पर इस विषय से जुड़े कई संदेश आते हैं, जिनसे लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि कुंडे की नियाज़ (Kunde Ki Niyaz) कब और कैसे करनी चाहिए।

Note – इसी आर्टिकल के लास्ट में कुंडे की फातिहा का पूरा तरीका भी बताया गया है !

माह-ए-रजब में हजरत इमाम जाफर सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु के ईसाले सवाब के लिए कुंडे की नियाज़ (Kunde Ki Niyaz) की जाती है। लेकिन क्या यह जायज़ है? आइए जानते हैं इससे जुड़ी पूरी जानकारी।

Kunde Ki Niyaz की तारीख

अक्सर 22 रजब को कुंडे की नियाज़ की जाती है, लेकिन यह माना जाता है कि हजरत इमाम जाफर सादिक रदियल्लाहु अन्हु का विसाल 15 रजब को हुआ था, न कि 22 रजब को।

हालांकि, 22 रजब को उन्हें गोसियत-ए-कुबरा अता की गई थी, इसलिए यह तारीख भी कुंडे की नियाज़ के लिए मुनासिब मानी जाती है। आप चाहें तो 15 रजब या 22 रजब दोनों में से किसी भी तारीख को कुंडे की नियाज़ कर सकते हैं।

Kunde Ki Niyaz: सही तरीका और सावधानियां

1. नियाज़ किन चीज़ों पर करें?
कुंडे की नियाज़ में हलाल चीज़ों का इस्तेमाल किया जा सकता है ! खीर, पूरी, बिरयानी, मिठाई, या अन्य हलाल खाद्य पदार्थ फातिहा के लिए पेश किए जा सकते हैं।

2. नियाज़ का खाना कब खिलाएं?
यह दिन, रात या किसी भी समय किया जा सकता है। सुबह का वक़्त अनिवार्य नहीं है।

3. खाना दूसरे कमरे में ले जाना या बचा हुआ खाना फेंकना:
नियाज़ के बाद बचा हुआ खाना फेंकना हराम है। इसे जरूरतमंदों में बांटना बेहतर है।

4. हर साल नियाज़ करना जरूरी नहीं:
अगर किसी साल नियाज़ न हो सके, तो इसमें कोई गुनाह नहीं है। इसे मजबूरी के अनुसार किया जा सकता है।

5. सिर्फ एक गिलास पानी से भी फातिहा करें:
नियाज़ के लिए घर का बना खाना जरूरी नहीं है। आप एक गिलास पानी पर भी फातिहा पढ़ सकते हैं।

Kunde Ki Niyaz की सही समझ

“Kunde Ki Niyaz” से जुड़े कुछ गलतफहमियां समाज में प्रचलित हैं। जरूरी है कि हम गैर-जरूरी रस्मों और रिवाजों से बचें और अपने परिवार को भी सही तरीके से समझाएं। इस्लाम में नियत और सादगी को ज्यादा महत्व दिया गया है।

निष्कर्ष

“Kunde Ki Niyaz” का उद्देश्य केवल ईसाले सवाब और अल्लाह की रज़ा हासिल करना है। हमें इसे बिना किसी फिजूल खर्ची और गलतफहमियों के साथ करना चाहिए। अल्लाह तआला हमें सही समझ और दीन की राह पर चलने की तौफीक अता फरमाए।

आमीन।

कुंडे की फातिहा (Kunde Ki Niyaz) का महत्व
मुसलमानों के बीच हजरत इमाम जाफर सादिक र.अ. की फातिहा एक विशेष धार्मिक रस्म है। इसे खासतौर पर रजब के महीने में किया जाता है। कुंडे की फातिहा (Kunde Ki Fatiha) करने का मकसद इसाले सवाब है, जो अल्लाह के नेक बंदों को तोहफे के रूप में पेश किया जाता है।

कुंडे की फातिहा का सही तरीका

नीचे कुंडे की फातिहा करने का आसान और सही तरीका बताया गया है:

1. दस्तरखान लगाएं

सबसे पहले दस्तरखान बिछाएं और उस पर फातिहा की नियत से बनाई गई सभी चीजें रखें। इसमें हलवा, बिरयानी, खीर, या कोई अन्य हलाल चीज शामिल हो सकती है।

मसअला:

  • मिट्टी के कुंडे का उपयोग करना जरूरी नहीं है। आप किसी भी बर्तन का उपयोग कर सकते हैं।
  • अगरबत्ती और लोबान का उपयोग सुगंध के लिए किया जा सकता है, लेकिन इन्हें तबर्रुक से दूर रखें।

2. फातिहा पढ़ने का तरीका

(a) दुरूद शरीफ

सबसे पहले तीन बार दुरूद ए इब्राहीम पढ़ें:

अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिं…

(b) कुरान की सूरतें

इसके बाद नीचे दी गई सूरतें पढ़ें:

  1. सूरत अल-काफिरून (1 बार)
  2. सूरत अल-इखलास (3 बार)
  3. सूरत अल-फलक (1 बार)
  4. सूरत अन-नास (1 बार)
  5. सूरत अल-फातिहा (1 बार)
  6. अलिफ लाम मीम (1 बार)

3. दुआ और इसाले सवाब का तरीका

फातिहा के बाद हाथ उठाकर दुआ करें:

  1. दुरूद शरीफ पढ़ें।
  2. अल्लाह से सभी गुनाहों की माफी मांगे।
  3. इसाले सवाब करें:
    • सबसे पहले सरकारे दो आलम (स.अ.) को सवाब पेश करें।
    • फिर सभी अंबिया, सहाबा, अहले बैत, और बुजुर्गों को सवाब पहुंचाएं।
    • अंत में हजरत इमाम जाफर सादिक र.अ. की बारगाह में सवाब पेश करें।

दुआ का उदाहरण:

ए अल्लाह, हमने जो कुछ भी पढ़ा और जो कुछ तेरे नाम पर तैयार किया, उसका सवाब सबसे पहले हजरत इमाम जाफर सादिक र.अ. को पेश करते हैं। हमारे गुनाहों को माफ कर और हमारे ईमान की हिफाजत कर। आमीन।

कुंडे की फातिहा में जरूरी बातें

  1. फातिहा के लिए हलाल खाना: हलवा, बिरयानी, खीर, दही, या कोई भी हलाल चीज पर फातिहा पढ़ी जा सकती है।
  2. समय और स्थान: फातिहा दिन, रात, या किसी भी समय कर सकते हैं। इसे घर के अंदर ही करना बेहतर है।
  3. खाना बर्बाद न करें: बचा हुआ खाना दूसरों को बांटना जायज है।
  4. हर साल फातिहा करना जरूरी नहीं है: अगर किसी साल न कर पाएं, तो यह गुनाह नहीं है।
  5. गैर-इस्लामी रस्मों से बचें: कोई भी फातिहा केवल अल्लाह की रजा के लिए होनी चाहिए।

कुंडे की फातिहा की अहमियत

  • कुंडे की फातिहा करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि हजरत इमाम जाफर सादिक र.अ. की फातिहा केवल इसाले सवाब के लिए की जाती है।
  • इसमें शिर्क या गैर-इस्लामी रस्मों से बचें और केवल नेक नियत से फातिहा करें।

अल्लाह तआला हम सबको सही समझ अता फरमाए।
आमीन।

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