durood e Ziyarat (हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ियारत)

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durood e Ziyarat- प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहु अ़लैहि व् सल्लम ने इरशाद फ़रमाया ! जो शख़्स ये दरूद शरीफ़ पढेगा उसको ख्वाब में हुजुरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ियारत होगी !

और जिसने मुझे ख़्वाब में देखा वोह मुझे क़यामत के दिन भी देखेगा ! और जो मुझे क़ियामत के दिन देखे लेगा ! मै उसकी शफ़ाअत करूंगा ! और मैं जिसकी शफ़ाअत करूंगा वोह हौज़े कौसर से पानी पियेगा और उसके जिस्म को अल्लाह तआला दोज़ख़ पर हराम कर देगा !

01 – durood e ziyarat
अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला रूह़ि मुहम्मदिन फ़िल अर्वाह़ि व स़ल्लि अ़ला ज स दि मुहम्मदिन फ़िल अज सादि व स़ल्लि अ़ला क़ब्रि मुहम्मदिनफ़िल कुबूरि

 

02 – हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ियारत
जो शख़्स ख्वाब में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ियारत करना चाहता हो वाे ये दुरूद शरीफ़  (darood sharif ) पढा करे !
अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा अमर तना अन नुस़ल्लिय्या् अ़लैहि अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा हुवा अहलुहू अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन कमा तुहिब्बु व तर्दा़ लहू

 

03 – दुरूदे बाइसे ज़ियारत
जाे शख़्स जुम्मा के दिन एक हजार मर्तबा ये दुरूद शरीफ़ ( darood sharif ) पढे ! उसको ख्वाब में रिसालत मआब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत होगी ! पाँच या सात जुम्मा तक पाबन्दी से इसको पढे
अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदि निन-नबीयिल उम्मिय्यि व आलिही व सल्लिम
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लिम के रोज़ए मुबारक की ज़ियारत
जाे शख्स नमाजे फज़्र और नमाजे मग़रिब के बाद 33-33 बार ये दुरूद शरीफ़ पढेगा ! ताे उस शख्स की कब्र के और रौजए अकदस के दर्मिंयान एक खिडकी खौल दी जाएगी ! और रौजए अक़दस की ज़ियारत उसको नसीब होगी !
अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला मुहम्मदिन सलातन तकूनु लका् रिदन व लि-हक़्क़िही अदा-अ् न

 

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