Sehri ki Dua :- अस्सलामु अलैकुम भाइयों और बहनों,
इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सेहरी की नियत और (Sehri ki Dua ) दुआ कैसे करें। कई लोग सेहरी की नियत (Sehri ki Niyat ) को ही सेहरी की दुआ (Sehri ki Dua ) मानते हैं। इसलिए आपकी सहूलियत के लिए यहां पूरी जानकारी दी गई है ताकि आप सही तरीके से सेहरी और रोज़े की नियत कर सकें।
नियत क्या है ?
इस्लाम में नियत का मतलब है दिल से किसी काम को करने का पक्का इरादा करना ! हालांकि, किसी भी इबादत को करने से पहले कुछ कलमे पढ़ना सुन्नत और सवाब का जरिया है ! * सेहरी और रोज़े की नियत के लिए भी खास दुआएं मौजूद हैं, जिन्हें पढ़ने से आपका रोज़ा मुकम्मल होता है
सेहरी की अहमियत (Sehri Ki Ahmiyat)
सेहरी खाना हमारे प्यारे नबी सल्ललाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है।
सहरी सुबह के उस आखिरी वक्त में खाई जाती है जब रोज़ा शुरू होने वाला हो। नबी करीम सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने सेहरी करने पर जोर दिया है और इसे बरकत का जरिया बताया है।
हदीस:
- रसूल सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:
“सेहरी किया करो, क्योंकि सेहरी में बरकत है।”
(बुखारी शरीफ, जिल्द 1, सफा 257) - एक और हदीस में फरमाया:
“हमारे और अहले किताब के रोज़ों के बीच का फर्क सेहरी खाने में है।”
(अबू दावूद, तिर्मिजी) - रसूल सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने यह भी फरमाया:
“अल्लाह और उसके फरिश्ते सेहरी खाने वालों पर दुरूद भेजते हैं।”
सेहरी की दुआ और नियत (Sehri Ki Dua Aur Niyat)
माहे रजब की सेहरी की दुआ (Sehri ki Dua) |
“नियत की मैंने आज के रोज़ा की, बिस्सौमी ग़दिन नवयतु मिन शहरे रजब।” |
माहे शाबान की सेहरी की दुआ (Sehri ki Dua) |
“नियत की मैंने आज के रोज़ा की, बिस्सौमी ग़दिन नवयतु मिन शहरे शाबान।” |
*माहे रमज़ान की सेहरी की दुआ* |
“नियत की मैंने आज के रोज़ा की, बिस्सौमी ग़दिन नवयतु मिन शहरे रमज़ान।” |
सेहरी और रोज़ा की सुन्नत अपनाएं
हम सबको चाहिए कि अपने प्यारे नबी सल्ललाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर अमल करें और सेहरी को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं। इसके साथ नियत और दुआ पढ़कर अपने रोज़े को मुकम्मल करें।
आमीन।
ये भी पढ़े – शबे मेराज की नमाज़ का तरीका